अर्थव्यवस्था की सुस्त चाल, विदेशी मुद्रा भंडार में भारी गिरावट..कौन ज़िम्मेदार?
दस महीने के सबसे निचले स्तर पर पहुंचा फॉरेन रिज़र्व

भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है...ये अब 634 अरब डॉलर है जो दस महीने के सबसे निचले स्तर पर है। सत्तर अरब डॉलर की गिरावट की बड़ी वजह बना है डॉलर के मुकाबले रुपए का लगातार कमजोर होना । फॉरेक्स मार्केट में 1 डॉलर अब 86 रुपए का है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस स्थिति के लिए पूर्व आरबीआई गवर्नर की नीतियां जिम्मेदार हैं
एक्सपर्ट्स के मुताबिक पिछले गवर्नर शक्तिकांत दास ने रुपए की कीमत को तब स्थिर रखा जब डॉलर बाकी मुद्राओं के मुकाबले तेजी से मजबूत हो रहा था। ट्रेडिंग व्यू की रिपोर्ट और डाटा भी इस बात की तस्दीक करते हैं...पिछले साल डॉलर सात फीसदी तक मजबूत हुआ और रुपया करीब तीन फीसदी तक लुढ़का । हाल में स्पॉट और फॉरवर्ड डॉलर बिक्री के चलते विदेशी मुद्रा भंडार यानी Foreign Exchange Reserves काफी तेजी से नीचे चला गया।
मार्केट एनालिस्ट और एसबीआई म्यूचुअल फंड के पूर्व इक्विटी हेड संदीप सभरवाल का कहना है कि शक्तिकांत दास ने विकास को बढ़ा-चढ़ाकर बताया और तब ब्याज दरों को लेकर भी ठोस फैसले नहीं लिए...इसके चलते भी विदेशी मुद्रा भंडार घटा ।
आपको बता दें कि हाल में भी सरकार ने भी भारतीय अर्थव्यवस्था में सुस्ती का संकेत दिया था । 2025 के लिए जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को 8.2 फीसदी से घटाकर 6.4 फीसदी कर दिया था। इससे देश में बेरोजगारी बढ़ने का और बड़ा खतरा पैदा हो गया है।
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