जिनका इंटरव्यू कलेक्टर से भी कठिन होता है, महाकुंभ में आए उन तंगतोड़ा साधुओं को जानिए
तंगतोड़ा बनने के लिए जो इंटरव्यू होता है वो IAS, IPS, IFS और PCS की तुलना में ज्यादा कठिन होता है

13 जनवरी से उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ शुरू हो जाएगा, जिसकी तैयारियां अंतिम चरण में है. महाकुंभ में देश-दुनिया से आए साधु-संतों का पहुंचना जारी है. इनमें तंगतोड़ा साधु भी शामिल हैं, जिनका चयन बेहद जटिल प्रक्रिया से होता है. कहा जाता है कि तंगतोड़ा बनने के लिए किया जाने वाला साक्षात्कार संघ लोक सेवा आयोग यानि UPSC के एग्जाम से भी ज्यादा कठिन होता है. यानि कहा जाए की UPSC पास करके कलेक्टर बनना आसान है लेकिन तंगतोड़ा साधु बनना बहुत मुश्किल. तंगतोड़ा साधु बनने के लिए लिया जाने वाला इंटरव्यू किसी भी आम व्यक्ति के लिए पास करना लगभग असंभव जैसा है.
इंटरव्यू के लिए कैसे होते है सेलेक्ट!
श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन निर्वाणी के देश भर में बने 5 हजार से ज्यादा आश्रमों, मंठों और मंदिरों के महंत और बड़े साधू-संत अपने योग्य चेलों को 'तंगतोड़ा' बनाने की सिफारिश करते हैं. तंगतोड़ा बनने के लिए चुने गए चेलों को 'रमता पंच' के सामने पेश किया जाता है. रमता पंच अखाड़े के इंटरव्यू बोर्ड के रूप में काम करते हैं. रमता पंच साधुओं के चयन में बेहद कड़ी परीक्षा लेते हैं. क्योंकि तंगतोड़ा बनने के लिए जो इंटरव्यू होता है वो IAS, IPS, IFS और PCS की तुलना में ज्यादा कठिन होता है क्योंकि इंटरव्यू में पूछे गए सवालों के जवाब किसी किताब में नहीं मिलते है और ना ही कोई मॉक इंटरव्यू भी नहीं होता है. इनका जवाब केवल वही व्यक्ति दे सकता है जिसने लंबे समय तक अखाड़े की सेवा की हो. ये प्रक्रिया इतनी मुश्किल है कि इसमें सिर्फ एक दर्जन चेले ही पास हो पाते हैं, जबकि इंटरव्यू के लिए हजारों चेलों को भेजा जाता है. तंगतोड़ा की परीक्षा में पास होने पर चेलों को संगम में स्नान कराया जाता है और संन्यास और अखाड़े की परंपरा निभाने की शपथ दिलाई जाती है.
संगम में कठिन पूजा!
अखाड़े में लाकर इष्ट देवता की पूजा के बाद उन्हें खुले आसमान के नीचे धूना के सामने 24 घंटे रखा जाता है. रमता पंच उनसे ऐसे गोपनीय सवाल करते है जिनका जवाब केवल संत का सच्चा शिष्य ही दे सकता है. रमता पंच जब पूरी तरह से संतुष्ट हो जाते हैं कि चेला संन्यास परंपरा के योग्य है, तब तंगतोड़ा की प्रक्रिया पूरी की जाती है. तंगतोड़ा साधु अखाड़े की कोर टीम में शामिल होते हैं और जिनकी अखाड़े की परंपराओं को आगे बढ़ाने में अहम् भूमिका होती है.
तंगतोड़ा साधु बनने की प्रक्रिया!
पहले चरण में चेले को अखाड़े के इष्ट देवता के सामने पेश किया जाता है. इसके बाद उसे संगम में स्नान कराया जाता है. फिर उनको संन्यास परंपरा की शपथ दिलाई जाती है. इसके बाद चेले को अलाव के सामने एक लंगोटी में कई दिनों तक खुले आसमान के नीचे रखा जाता है. उसे लगातार 24 घंटे धूने के सामने रहना होता है. इस प्रक्रिया का मकसद ये होता है कि साधु कठिन हालातों का सामना करने में सक्षम है.
इन विषयों से जुड़े सवाल पूछे जाते है!
क- अखाड़े की परंपराओं का मूल ज्ञान
ख- आध्यात्मिक मंत्र और उनका अर्थ
ग- साधुओं के उपकरणों का उपयोग
घ- पूजा-पाठ की प्रक्रिया
च- अखाड़े की रसोई व्यवस्था और उससे जुड़े नियम
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