अखिलेश से अयोध्या का बदला ले पाएंगें योगी? मिल्कीपुर में भाजपा-सपा ने ताकत झोंकी
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए मिल्कीपुर चुनाव कितना अहम है इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते है कि उपचुनाव की कमान खुद उन्होंने संभाल रखी है. जबकि अवधेश प्रसाद के बेटे के लिए सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी पूरी ताकत झोंक रखी है

अयोध्या जिले की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव के लिए 5 फरवरी को मतदान होगा. मिल्कीपुर सीट मौजूदा पॉलिटिकल ट्रेंड में बीजेपी और सपा, दोनों के लिए साख का सवाल बनी हुई है क्योंकि नतीजे पर भाजपा और सपा के कई नैरेटिव दांव पर हैं. समाजवादी पार्टी ने राम मंदिर के लोकार्पण के तुरंत बाद हुए आम चुनावों में अयोध्या-फ़ैजाबाद लोकसभा सीट से जीत हासिल कर पॉलिटिकल पंडितों को हैरान कर दिया था. इस हार की टीस बीजेपी के लिए इतनी करारी थी कि उसके आगे केंद्र में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने का जश्न भी फीका पड़ गया था.
ये हार यूपी के मुख्यमंत्री योगी के लिए भी बड़ा बहुत झटका थी. ऐसे में इस उपचुनाव में योगी ये सीट जीतकर लोकसभा में मिले जख्म को कुछ कम करना चाहते है. दूसरी तरफ अखिलेश यादव भी इस सीट को जीतकर योगी आदित्यनाथ को 2024 की तरह करारा झटका देना चाहते है.अखिलेश यादव ने पार्टी के कोर संगठन से लेकर फ्रंटल संगठनों की ड्यूटी यहां लगा रखी है. जल्द ही अखिलेश यादव भी मिल्कीपुर में खुद प्रचार करते नजर आएंगे.
दूसरी तरफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद 4 बार मिल्कीपुर जा चुके है. जबकि यूपी बीजेपी अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी भी लगातार मिल्कीपुर में संगठन को मजबूत करने में लगे है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी सरकार के मंत्री सूर्य प्रताप शाही, स्वतंत्रदेव सिंह, मयंकेश्वर शरण सिंह, दयाशंकर मिश्र, गिरीशचंद्र यादव, सतीश चंद्र शर्मा को विधानसभा में कैंप करने के लिए लगा दिया है. इसी वजह से सपा और बीजेपी के लिए मिल्कीपुर का उपचुनाव अहम की लड़ाई भी बन गया है.
लोकसभा चुनाव में जीत के बाद अवधेश प्रसाद विपक्ष के पोस्टर बॉय बन गए थे. अब मिल्कीपुर उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को अपना कैंडिडेट बनाया है. इसलिए कहा जा रहा है अखिलेश यादव के साथ साथ सपा के पोस्टर बॉय अवधेश प्रसाद की भी साख दांव यहां पर लग गई है. लखनऊ से लेकर दिल्ली तक के राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा है कि मिल्कीपुर उपचुनाव का नतीजा ही 2027 में होने वाले विधानसभा चुनावों की दिशा तय करेगा.
What's Your Reaction?






