60 साल बाद इजरायल को चाहिए उसकी लाश....!

मोसाद का ये एजेंट दूसरे देश में घुसा, बसा और बस राष्ट्रपति बनने ही वाला था....सीरिया में चल रहा सर्च ऑपरेशन

Jan 6, 2025 - 15:37
Jan 6, 2025 - 15:38
60 साल बाद इजरायल को चाहिए उसकी लाश....!

The Times of Israel की एक रिपोर्ट के मुताबिक इजरायल को 60 साल बाद भी मोसाद के एक एजेंट की लाश की तलाश है. इजरायल उसके शव को वापस लाना चाहता है, और इसके लिए इजरायली डिफेंस फोर्सेस सीरिया में उस एजेंट की कब्र को खोजने के लिए सर्च ऑपरेशन चला रहे है. दरअसल इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद के एक जासूस को सीरिया में साल 1965 में सरेआम फांसी पर लटका दिया गया था. तभी से इजरायल उसके शव को वापस लाने की कोशिश कर रहा है. जिन्होंने 1967 में चले 6 दिन के युद्ध में इजरायल की सफलता के लिए महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी जुटाई थी.

मोसाद का सर्वश्रेष्ठ जासूस
हम बात कर रहे हैं मोसाद के सर्वश्रेष्ठ जासूस एली कोहेन की. इसने 1962 को व्यवसायी कामेल अमीन थाबेट बनकर सीरिया में एंट्री ली और तीन साल के भीतर सीरियाई टॉप लीडर्स में पैठ बना ली. इसकी मर्जी के बिना सीरिया में पत्ता भी नहीं हिलता था. इन्हें इजरायल और सीरिया की 1967 की जंग में इजरायल की जीत का श्रेय दिया जाता है. ये लड़ाई सिर्फ 6 दिन चली थी और 6 दिन में ही इजरायल ने सीरिया को हराकर गोलन हाइट्स पर कब्जा कर लिया था. ये वो पहाड़ी इलाका था, जहां सीरिया की सेना का कब्जा था. लेकिन इस जासूस की वजह से इजरायल ने जल्द ही इस जंग को जीत लिया. 

कौन थे एली कोहेन 
एली कोहेन मिस्र में पैदा हुए थे और यहूदी थे. 1957 में वे इजरायल की डिफेंस फोर्स में शामिल हो गए और यहां वे मिलिट्री इंटेलिजेंस में थे. लंबी कोशिश के बाद कोहेन को मोसाद के साथ काम करने का मौका मिला. फिर कोहेन को सीरिया से जुड़े प्रोजेक्ट पर काम करने को मिला. वे सीरिया में एक बिजनेसमैन के रुप में एंट्री पाना चाहते थे और इससे पहले वो अर्जेंटीना गए. वहां उन्होंने बिजनेस किया और सीरियाई बिजनेसमैन के रुप में अपनी खास पहचान बना ली. धीरे-धीरे उन्होंने सीरिया के बड़े-बड़े लोगों से अपनी पहचान बना ली. कोहेन की स्पेनिश, फ्रेंच और अरबी भाषा पर जबरदस्त पकड़ थी. 

सीरिया के राष्ट्रपति बनने की कतार में थे 
सीरिया में कोहेन ने अपना इतना प्रभाव बढ़ा लिया कि उनकी दोस्ती अमान अल हाफिज से हुई और वो सीरिया के राष्ट्रपति बने. कहा जाता है कि कोहेन ने हाफिज के साथ इतनी अच्छी दोस्ती बना ली कि उन्होंने कोहेन के लिए रक्षा मंत्री का पद देने की मांग कर दी थी. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि सीरिया का राष्ट्रपति बनने के लिए एली कोहेन से बेहतर कोई ऑप्शन ही नहीं है. वे सीरिया के आर्मी से जुड़े मामलों में एक्टिव रहने लगे. उनका सरकार को भी काफी फंड जाता था और वे आलीशन घर में बड़े बिजनेस टाइकून के रुप में वहां पहचान छुपाए काम कर रहे थे.

गोलन हाइट्स की जंग जिताने में अहम् भूमिका 
गोलन हाइट्स की लेकर हो रही जंग में सीरिया ये इजरायल को पानी देने से रोकने वाला था. मगर कोहेन को ये बात पहले से पता थी और उन्होंने इजरायल में पहले ही सीरिया का प्लान बता दिया.वे सीरिया की पूरी जानकारी इजरायल पहुंचाते रहे. यहां तक कि उन्होंने अपने अच्छे रिलेशन से वहां तक एंट्री पा ली, जहां सैनिक अपने हथियार रखते थे और कैसे फायरिंग करते थे. ऐसे जंग में इजरायल कामयाब रहा.

सरेआम दी गई फांसी
कोहेन की जासूसी गतिविधियां साल 1965 में अचानक समाप्त हो गई. सीरियाई खुफिया एजेंसियों ने सोवियत संघ की मदद से इजराइल को भेजे गए उनके सीक्रेट रेडियो ट्रांसमिशन को पकड़ लिया था. 4 जनवरी, 1965 को सीरियाई अधिकारियों ने उनके घर पर छापा मारा और उन्हें गिरफ्तार कर लिया. कोहेन को 18 मई 1965 को सार्वजनिक रूप से फांसी दे दी गई थी. 

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